अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
3 August 2007
DILL DA HAAL
Na puchyaa karo saadhe dill da haal yaro labheygi sirf khali sharab diya botllaa naal bhari do pani diya koliya........
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