9 July 2009

समझ तेरी


मैं, इश्क ढूँढने चली
तेरी मासूम आँखों में
पर तूने आँखे फेरी,
अजनबियों के तरह....

मैं दोस्त ढूँढने चली
तेरी मीठी बातो में
पर तूने मुख ही मोड़ लिया
परदेसियों के तरह......

मैं जीने लगी थी
तेरी बाहों की छायो में
पर तूने दूर छिटक दिया
जानवर समझ कर ........


कीर्ती वैद्या ....07/07/2009

दर्द तो होगा

पत्यिया तो नहीं थी फूल की
जों तोड - मोड़ फेंक दी....
यादें थी वो बस मेरी ज़िन्दगी की
जों दिल के कोने में दफना दी ...
उम्र बीत जायेगी और ये पल-लम्हा भी
टीस रह जायेगी जों,
जख्म बन रिसती रहेगी
दर्द तो होगा पर चेहरा
हँसी - ठिठोली में छुप जायेगा.....

कीर्ती वैद्या DTD 07/07/2009

7 July 2009

पल अपना


कितना इंतज़ार ..कितने दिन
और , फिर
कितने पल ... यूँही बिन पँख,
उड़, हवा बन जाए
मौसम बदले, सावन बरसे
रिमज़िम, चाहे फिर अखियों से झरे जाए
क्यों... काहे मन गुनगुनाया जाए
गीत गुंजन खुशियों के हो
या फिर दिल के बातें बोले जाए
फिर लिख-सून मन,
कुछ पल हंस जाए
एक पल अपना फिर यूँही बीत जाए...

कीर्ती वैद्या 07TH JULY 2009