27 August 2007

उसे भी खोया

कभी अकेली बेठ सोचती हूँ
तेरे पयार में कया पाया

अपनी हर ख़ुशी का साथी बना
अपने को ही तनहा कीया

अचछी थी ये सुनी जिन्दगी
तुझे हमदम बना सब बरबाद कीया

खुशनुमा सुबह सी मुस्कुराती थी
तेरे आने पे बुझा दीया तों पाया

कीसे के आने का इंतज़ार था
तेरे जाने के बाद उसे भी खोया

कीर्ती वैदया

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