27 August 2007

शब्द ओर वाक्य

शब्द चीखा ओर चुप हो गया
वाक्य को ये बात नही पता

जबरदस्ती घसीट खडा कीया, शब्द
अधमरी हालत का शीकार जेसे हुआ

एक मीठी खीली हंसा, वाक्य
प्रसन वो अपनी वीजय से

इक ठंडी सांस भर, शब्द
शांत हुआ ओर वाक्य मे समाया

अपने को मीटा वाक्य को जगा गया...

कीरती वैधया....

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