क्यों कोई मीलता है
जब उसे जाना ही होता है
आता है तों ना जाने
कीत्ने रंग भरता है
सपनो का घरोंदा बना
तीत्लीयो से रंग बीखेर्ता है
एक अजीब सा सुकून
चारो ओर रहता है
महकते फूलो की खुशबू
दामन मे खीला जाता है
चांदनी रातो की चमक ला
ज़ींदगी में नया नूर लाता है
फीर क्यों चला जाता है
वो यूं तनहा छोड़......................
कीर्ती वैध्या
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