अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
28 August 2007
केसे
केसे कहूंगी तुमसे की तुम मेरे नही मैं कीसी ओर को नही पर कीसी ओर ने मुझे चुन लीया केसे तुम्हारा सामना करुँगी केसे तुम्हे छोड़ चली जाऊंगी केसे तुमसे दूर रह पाऊँगी....
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