7 August 2007

बोलो ना

क्योँ, जानना है
मेरे दील मैं कया है
क्यों, कीस बात की
परवाह तुम्हे है
ग़र बता भी दूँ या
तुम्हे पता भी चल जाये
दे पायोगे मेरा साथ
अपने प्यार का सारा एहसास
रह पायोगे मेरे ही होकर
बोलो ना तुम हो मेरे हमसफ़र....

कीर्ती वैध्या

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