हाय ये लंबी जुदाई
हर पल की ये तनहाई
ढ़्ढ़ूँ तुम्हे अब कहां
पूंछू कीसे अब तू कहां
पाय्रे तेरे वो मीठे बोल
गूंगे अब ये दीन मेरे
तनहाई भरी सूनी राते
तडफाये तो कन्हु कीसको
संग जीने मरने की कसमे
तोडी तुने बीन पूछे, समझे
जलाती तेरी बेरहम यादे
जलाऊ तू जलती नही यादे
चुप चुप सी ये ज़ींदगी
खामोश लवो की कहानी
गीली गीली ये अब आंखे
छूपाऊं भी तू कैसे............................
कीर्ती वैध्या
4 comments:
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Nu ya - ugnis!
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