27 July 2007

पयार की पीड़ा


हाय केसे तुझे समझाऊ
अपना दीले हाल बताऊ,

जले मेरा नादान जीया
देखे
जब तू कीसी ओर को,

कंगना नीगोडा मेरा चीढ़ाये
चाह्ये जब तू कीसी ओर को,

झूमका मेरा अंगूठा दीखाये
बात
करे तू कीसी ओर की,

पायल मेरी हँसे मुझपे
तारीफ़ करे तू कीसी ओर की,

हाय केसे तुझे समझाऊ
पयार की पीड़ा दीख्लाऊ

कीर्ती वैधया .........

1 comment:

Unknown said...

wow di kya baat hai seedi saral bhasha me itni sundar kavita..............maan gaye aapko guru ho aap to