30 July 2007

हद है यार


हद होती है यार
मैं
तुम्हारे आगे पीछे दोडू
ओर
तुम बोलो,थोड़ा सांस ले लो,
रुक
गयी, मेँ हस्पताल ना ले जाऊंगा........


अजीब
बात है यार
मैं तुम्हारे लिये खीर बनाऊ
और तुम बोलो, अरे तुम मीठा मत खाओ,
मोटी हो गयी, मैं तुम्हे पहचानूँगा केसे.............


आज तो ग़ुस्सा गया यार
मैं तुम्हारे लिये लाल कुरता सीया
और
तुम बोलो, बड़ा दील फेंक रंग चुना,
नाराज़
ना होना, आज मुझ कोई ओर चुरा ले तो......


अब तो कभी बात ना करूं
मैं तुम्हे जलाने के लिये कहानी गडू
और तुम बोलो,वाह तुमहारी शादी है
मुबारक
हो, तुमहारी ख़ुशी मैं भी खुश हूँ...............


कीर्ती वैध्या.....

4 comments:

Unknown said...

Ye kavita, Kuch Spne ya kuch yadein,nahi, kuch khwahishe jaise lagti hain.
Ye man kekhyal hain shayad galtiyan dundana mushkil hai.

SANYAS BHI HO SANSAR BHI HO said...

wah wah keetri , ur good

DEKHO APNI ANKHO MEIN KHWAB KISKE HAI, DEKHO APNE DIL YE TOOFAN KISKE HAI, TUM KEHETE HO TUMHARE DIL K RASTE SE KOI NAHI GUJRA , TO FIR YE PAIRO K NISHAN KISKE HAI.

from sahil

Unknown said...

"had hai yaar"
apne jindagi ki haqeekat ko kavita me dhal diya hai.
bahut sunder hai ye kavita.

from shalini

Rajeev said...

what a wonderful pic!