29 April 2008

कामकाजी नारी

कामकाजी लड़की हूँ , सो सोचा आज कुछ उनकी ही कुछ बात की जाए ।

एक कामकाजी महिला की जिमेदारिया एक घर रहने वाली महिला से अधिक होती है । घर के काम निपटाने के अतिरिक्त उन्हे अपने ऑफिस की जिमेदारियो को भी बखूबी निभाना होता है।

मेरे घर के पड़ोस में चार-पाँच घरेलू महिलाये रहती है जो मेरी उमर से मेरी माँ के उमर तक की है । कई बार में ऑफिस से अधिक काम की वजह से देर रात घर आती हूँ और वो भी अपने किसी पुरूष सहकर्मी के साथ जो उन् महिलाओ के बीच अक्सर गॉसिप का विषय बन जाता है । एक बार उड़ते-उड़ते बात मेरे कानो तक पहुँची तों मैंने उन औरतो की जमकर ख़बर ली ।

आप कहेंगे की इसमे बड़ी क्या बात है ...


बड़ी बात तों है दोस्तो ...अगर इस तरह से एक औरत ही दूसरी औरत पर टिप्न्नी कसेगी तों केसे हम सब औरते बदलाव और समान अधिकार के बात कर सकती है ।

अक्सर अपने ही दोहरे मापदंडो के वजह से ही औरते कभी-कभी मात खाती है और फ़िर अपने औरत होने पर रोती है ।

कीर्ती वैद्य ...

4 comments:

Anonymous said...

अक्सर अपने ही दोहरे मापदंडो के वजह से ही औरते कभी-कभी मात खाती है और फ़िर अपने औरत होने पर रोती है ।

1000% right keerti

Krishan lal "krishan" said...

दोहरे मापदण्ड केवल औरतो तक ही सीमित हो ऐसा नही है । क्या औरते क्या पुरुष दोहरे माप्द्ण्ड तो हमारी जीवन शैली का हिस्सा बन चुके है ।
पर कीर्ति जी आपने उन औरतो की खबर ली जो देर रात अप्ने पुरुष सहकर्मी के साथ घर आती है पर क्यों ये सम्झ नही पाया। इसलिये कि वो देर से घर आयी थी, या इस लिये कि वो पुरुष सहकर्मी के साथ आयी थी
ये भी तो हो सकता है उन्के हालात ही ऐसे हो जैसे कि आफिस मे देर रात तक बैठना पड़ता हो ऐसे मे पुरुश सहकर्मी के साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी तो आ सकती है चलिये अब उन को सारी बोल कर मना लीजियेगा

Sourabh Gupta said...

Waise to yahi hota hai ek aourat hi dusri aourat ka samman kho deti hai, agar hamara kanun koi rule banata hai to uska sadupyog kam durupyog jyada hota hai.

Asha Joglekar said...

सही कहा आपने और किया भी सही जो उन औरतों की खबर ली जो बे वजह गॉसिप करती हैं।