21 April 2008

मेरी अपनी बात

"नारी" ब्लॉग पर यह मेरी पहली रचना है, यदि कुछ ग़लत लिखूं तों मुझे नासमझ कर माफ़ करे।

अपनी दस साल की नौकरीपेशा ज़िंदगी में मेरे अनुभव कुछ बड़े अजीब और खट्टे रहे लकिन जो भी रहे उनमे अधिकतर मीठे भी रहे पर हमेशा कटु अनुभव कम ही भुलाए जाते है ....

अब से पाँच साल पहले में जिस कम्पनी में काम करती थी ...वंहा के विवाहित मेनेजर ने बेहद निर्भीकता के संग मेरे सामने हमबिस्तर होने का प्रस्ताव रखा , चोंक्ने की बात यह नही की उन्होने ऐसा कहा बल्कि यह थी की मैं उनकी धर्मपत्नी को अगर बता देती तों उनका क्या हर्ष होता यह भी नही सोचा उन्होने ....खेर मैंने भी उनके ही अंदाज़ मैं उन्हे ना का पट्टा दिखा दिया

लेकिन जनाब अभी भी कभी कभी अपना रंग दिखा ही देते थे और मैं उतनी ही निडरता के साथ उनकी बातो का जवाब दे देती थे ..जानती थी की नौकरी तों जानी है पर पहले नई नौकरी तों ढूंढ ले तबतक इन्हे झेल लेते है

एक दिन हम पर कुछ चिल्लाते हुए बोले " यह तुम्हारा ऑफिस है घर नही ढंग से काम करो " मैंने भी उसी अंदाज़ मैं जवाब दिया और वो भी सारे स्टाफ के सामने " सर, मुझे भी पता है ऑफिस है , आपका बेडरूम नही , पर हर बार आप भूल जाते है "उसे दिन जनाब ऑफिस छोड जल्दी घर भाग गए

खेर मैंने इसके बाद भी वहाँ पूरे चार महीने और काम किया और उनकी नाक में दम किया ...आखिरकार नई नौकरी मिल गई और अब जाना था पूरा बदला ले कर ..सो अब मैंने उनसे जानबूझ कर तु-तडाक भाषा का प्रोग करना आरंभ कर दिया ..आखिरकार गुससाये मेनेजर ने मुझे नौकरी से निकाल दिया वो भी मेरी धमकी के अनुरूप मुझे एक महीने की अतिरिक्त आय देकर

आप सोच रहे होंगे के मैंने ऐसा क्यों किया , इस बात पर चुप क्यों बेठी रही ..हल्ला क्यों नही मचाया।

जवाब बिल्कुल सीधा है ......आज भी बड़े बडे महानगरों में यह सब आम हो रह है और लड़किया अपने घर की जिमेदारियो में दबाब में ऐसे लोगो के बहकावे में रही है और मजबूरन ऐसे घटिया कर्मो में धन्स्ती जा रही है

बात पुलिस तक जा सकती है पर क्या हमारा कानून हमे जल्द इन्साफ दे पायेगा ? नही ...कभी नही....

बात उनकी धर्मपत्नी तक जाए तों क्या वो हमारा साथ देंगी या उल्टा हमे ही ग़लत कहा जाएगा...

मैंने अपने हिसाब से उसे, उसके ही स्टाफ के सामने नंगा ही नही किया बल्कि उसे माली नुकसान भी पहुंचाया और अपने लिए नई नौकरी का इंतजाम भी किया


मजे की बात यह रही की मेरे घरवालो को मेरी नौकरी बदलने के बाद इस घटना का पता चला.
...ै

आप के विचार क्या है , इंतज़ार में ....कीर्ती वैद्य

7 comments:

डॉ .अनुराग said...

इस हिम्मत को रोजाना तेज धार हथियार से पैना करती रहिये ...ओर इसे बराबर खुराक देती रहिये.....हर कामकाजी स्त्री को इसकी घुट्टी मुफ्त मे कोरियर कर दे ....

Keerti Vaidya said...

Dr. Anurag Ji

ji sahi farmaya apne....aur mein aaj bhi tayar hun ase ajnabi anchahye problems sey ladney ke liye..

thanxs for ur valuable comments..

Krishan lal "krishan" said...
This comment has been removed by the author.
hans said...

first thing first i have full anatomy not only "sir" refer me by my name .
I read it.
I was move by your first courageous blog. really you are powerful. I wish your power multiply & brings more harmony on our planet.
For 2nd one i have similar parallel story.....
Aunt use to dress her daughter like boys.
boy haircut,knickers..etc As she grew sorroundings
convince my aunt to treat her like girl.Accept it & be happy. She accepted it but not happy (in my opnion)

hans said...

first thing first i have full anatomy not only "sir" refer me by my name .
I read it.
I was move by your first courageous blog. really you are powerful. I wish your power multiply & brings more harmony on our planet.
For 2nd one i have similar parallel story.....
Aunt use to dress her daughter like boys.
boy haircut,knickers..etc As she grew sorroundings
convince my aunt to treat her like girl.Accept it & be happy. She accepted it but not happy (in my opnion)

pallavi trivedi said...

बहुत अच्छे कीर्ति....मुझे अच्छा लगा तुम एक निर्भीक लड़की हो!तुम्हारा कदम सराहनीय है लेकिन कहीं मुझे लगता है कि शायद पुलिस में भी रिपोर्ट हो जाती तो और भी अच्छा सबक मिलता उसे.!शायद पुलिस वाली हूँ इसलिए ऐसा सोचती हूँ.....बहरहाल अपनी हिम्मत ऐसे ही बरकरार रखना!

ek adhuri kavita.......... said...

aaghat se darna sikha nahi
ye janha jitna mitta dikhta he utna mitta nahi
aapki hazir jawabi or himat ko salam karti hu...
bas apne sath dusro ki maddat kijyega esi bat ka aahwan karti hu..............
to good