हाँ, फर्क तो है मुझमें और तुझमें
तु अब भि आँखे फाड़े, होंठ सीए खडा
देख लो...
आज भि जाम मेरे हाथ वैसे ही थमा
कितना तुने रोका कभी समझाया था
मालूम था...
तु बेवफा, मुझे तनहा छोड चला जायेगा
पर ये जाम कभी मेरा साथ ना छोडेगा
जान लो .....
अपनी बेशर्म नंगी खामोशी को
जाम की मदहोशी भि सब समझती है ....
कीर्ती वैद्य २० अप्रैल 2008
1 comment:
देख लो...
आज भि जाम मेरे हाथ वैसे ही थमा
कितना तूने रोका कभी समझाया था
bahut khub
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