4 December 2007

कहानियो का संसार

कहानियो का अंधाधुंध संसार
डूबता उनमे एकाध बेकरार
बस समझे वही इसका अधार
कितना विशाल सरोबार
लगा लो डुबकी एक बार
जान लोगे क्या यह संसार

कीर्ती वैद्य.....

3 comments:

36solutions said...

नहीं जी एकाध बेकरार नहीं कई बेकरार डूबते हैं कहानी के संसार में ।

चंद लाईनों में कथाकार/व्‍यक्ति की वेदना को व्‍यक्‍त किया धन्‍यवाद ।
आरंभ

रंजू भाटिया said...

चंद लफ्जों में बड़ी बात बहुत खूब जी :)

Sajeev said...

दर्शन.... बढ़िया