अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
याद जब आती है नींद अपने साथ ले जाती है ज़िन्दगी का हर पल जिया हुआ सच लगता है पर फिर भी मन ऊस सच से डारता है जो वह आ कर बताऐगा और नींद ही नहीं याद करने के अधिकार को भी अपने साथ ले जायेगा http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2006/10/yaad.html
कीर्ति जी अभी आपका ब्लोग देखा और और उसके अंग्रेजी शीर्षक का हिन्दी करण किया 'मेरी अनभूति मेरे शब्दों में". बहुत अच्छा लगा. आप इसे जारी रखें. अगर ब्लोग का हिन्दी में नाम लिखतीं तो सोने में सुहागा होता. खैर कोई बात नही. आपका प्रयास अच्छा लगा. दीपक भारतदीप
4 comments:
याद में लिखी रचना बढिया है।बधाई।
याद
याद जब आती है
नींद अपने साथ
ले जाती है
ज़िन्दगी
का हर पल
जिया हुआ सच लगता है
पर फिर भी मन ऊस सच
से डारता है
जो वह आ कर बताऐगा
और नींद ही नहीं
याद करने के
अधिकार को भी
अपने साथ ले जायेगा
http://mypoemsmyemotions.blogspot.com/2006/10/yaad.html
कीर्ति जी अभी आपका ब्लोग देखा और और उसके अंग्रेजी शीर्षक का हिन्दी करण किया 'मेरी अनभूति मेरे शब्दों में". बहुत अच्छा लगा. आप इसे जारी रखें. अगर ब्लोग का हिन्दी में नाम लिखतीं तो सोने में सुहागा होता. खैर कोई बात नही. आपका प्रयास अच्छा लगा.
दीपक भारतदीप
ज़ज़्बातों को उकेरती सुन्दर कविता....
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