5 December 2007

"बदला इंसान"

सच के तस्वीर जो बालपन में रही
इक सचाई, मासूम चेहरे पे छायी
खा गया उसे ज़िन्दगी का ज़हर
बन गया इंसान झूठ का पहाड़
कितने भी हंसी के मोखोटे लगाये
दिख रहा बदल गया इंसान...

कीर्ती वैद्य...

1 comment:

36solutions said...

बचपन हर गम से बेगाना होता है .....
वाह ।

आरंभ
जूनियर कांउसिल