अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
11 December 2007
अलविदा
हर पल कटे तेरा नाम लेके दिल नाचे तेरी बात सुनके पर अब न चलेंगी हवाए ऐसे न रहेंगी मुलाकाते अब वैसी कह दिया अब हमने तुमको अलविदा अपनी धडकनों से भी...
3 comments:
"कह दिया अब हमने तुमको
अलविदा अपनी धडकनों से भी..."
जो धडकनों से जुड़ा हो उस से नाता तो अलविदा कहने के बाद भी नहीं टूटता है.
सही कहा डॉक्टर साहब. अब तक इंसान उस मुकाम तक नहीं पहुँचा.
ऐसा जुल्म न करना । किसी कोने में ही सही जगह दे देना । किसी से परिचय न कराना पागल नाम ही बता देना - पर जुदा मत करना वरना
श्राप है कि भूल जाओगी शायरी
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