अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
31 December 2007
नमकीन
हमारी बातो का सिलसिला कभी रुकता नहीं कभी मिठास का एहसास नज़र आता नहीं सोचती हूँ क्यों करती हूँ हर बात फिर भी शायद,नमकीन की आदत तुम संग अबमुझे भी
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