26 February 2008

सवाल

आस पास टूट फुट हो,
तो हाथो में समेट लूँ
मन भर कर अफ़सोस
फ़िरे बहार फेंक भि दूँ

पर आज कया करूं?

दिल अपना टूटा सा है,
इन फ़ैली भावनाओ को
सुलझाऊ तो केसे?
बिखरी बिखरी बातो को
बताऊँ भि तो किसे ?
अजीब होते है बंधन
निभाऊ भि तो केसे?

कुछ ऐसे ही ...

ढेरों सवालो का अम्बार
बरसाऊ भि तो किस पे?

कीर्ती वैद्य.....

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

जीवन इसे ही कहते हैं\बहुत सुन्दर।