20 February 2008

झूठ


कितने
सवालो का अम्बार
क्यों? कब? केसे?
उफ़.....
कंहा और केसे समेटू
किस सिरे को पकड़
किस ओर तह मोडू
हाँ ....
सिमट तो जायेगा
ओर सहज भि
पर कब तक
यूं झूठ नापू

कीर्ती वैदया

2 comments:

singh said...

किस सिरे से पकडू,किस ओर तह मोडू.बहुत खूब
विक्रम

Anonymous said...

kis sire ko pakadu,kis tah ko modu,man ke sawal likh diye apne,zindagi kuch ais hi hai,bahut badhiya,badhai.