4 February 2008

मैडम से भीखारन

इस शर्त पर वो बस में चढ़ी
सीट मिलगी, तो मैडम टिकेट लेगी
वर्ना, खडे होने की एवज मे, मुफ्त जाएँगी...

कंड़कटर भि कम ना निकला
ड्राईवर को दे निर्देश, जोर से बोला...
अब गाड़ी का ब्रेक , सीधा अपने घर जा लगेगा,
आज मैडम हम संग मुफ्त जाएँगी......

मैडम के तेवर हुए अब तीखे
सवारियों को संबोधित कर बोली
भला अब गुंडागर्दी बस मे चलेगी
अकेली जान समझ, छूरी मुझपे चलेगी
अरे, नहीं जाना तेरी बस मे भईया
रोक अभी रोक, अभी मुझे उतरना ....

वाह मैडम जी, आप भि कमाल करती
टिकेट माँगा तो बदमाश लगे
घर ले चले तो भाई लगे
काहे को चलाती हो हमे
दस का टिकेट तो है
चुपचाप काहे नहीं लेती हो

वर्ना, हम भि कम नहीं
मैडम से भीखारन का खिताब
अभी आपको देते है.....

कीर्ती वैद्य...

4 comments:

वनमानुष said...

बसों में अजीब तरह की धक्कमपेल मची रह्ती है. आप लोगों को मेट्रो चलने से कुछ राहत तो मिली होगी.हमारे यहाँ मेट्रो की तर्ज़ पे मेट्रो बसें चलती हैं.जिनके ड्राइवर कंडक्टर को मैनर्स सिखाने के लिए अलग से क्लास लगती है.आशा करता हूँ कि ऐसा चलन देश के हर कोने में प्रारंभ हो. पर यात्रियों को तमीज सिखाने के लिए क्लास कैसे लगायेंगे?

Anonymous said...

bahut khub kaha keerti,bus mein aise hadse aksar hote hai.padhe likhe log bhi aisa karte hai:)jeevan ka ek aur rang ye bhi hai.

DUSHYANT said...

wah bahut khoob, khudaa kare zore qalam aur zyada

Batangad said...

ये मैडम कहां मिलीं थीं :)