प्यार कया चीज़?
कभी हंसाये
कभी रुलाये
मीयां, पर तुमहारा
यहाँ कया काम?
ये न कोई बाज़ार
न बीके यंहा प्यार
मोल-भाव में तोल
न करो अपमान
रहने दो पाक.
कीर्ती वैदया....
कभी हंसाये
कभी रुलाये
मीयां, पर तुमहारा
यहाँ कया काम?
ये न कोई बाज़ार
न बीके यंहा प्यार
मोल-भाव में तोल
न करो अपमान
रहने दो पाक.
कीर्ती वैदया....
2 comments:
अति सुन्दर... लिखती रहें....
कभी आपका तरीका देखता हूँ लिखने का तो कभी अपना तरीका...
आप बहुत बडी बात चन्द शब्दों में ब्याँ कर देती हैँ और मुझे कई पेज भरने पढ जाते हैँ अपनी बात कहने के लिए.....
bahut khoob
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