अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
28 November 2007
भीगे नैन अब........
माँगा था 'रब' से मिला न कभी तब आस भी छुटी सब तक-तक हारी जब बुझ गए दीप तों खडे अब भीगे नैन अब........
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