मूक सवालो के, क्या कुछ जवाब है?
जब भी ढ़ूंढ़ा , तुम्हारी गहरी आँखों में
उलझी रह गयी, तेरी खामोशी में......
ें
हो सकता है, तुम कहते तों हो
ओर मुझ तक पहुँचता भी हो...
पर शायद,
मैं सब समझना नही चाहती
ओर तुम कह, रूलाना भी नही चाहते...
कीर्ती वैदया...
जब भी ढ़ूंढ़ा , तुम्हारी गहरी आँखों में
उलझी रह गयी, तेरी खामोशी में......
ें
हो सकता है, तुम कहते तों हो
ओर मुझ तक पहुँचता भी हो...
पर शायद,
मैं सब समझना नही चाहती
ओर तुम कह, रूलाना भी नही चाहते...
कीर्ती वैदया...
3 comments:
bahut sahi kaha keerti,muk sawalon ke shayad jawab milna bahut mushkil hota hai,hum kitn baar sochte hai ,kya aaj use puch lun keh du dil ki baat,jan lun uske dil ka jawab,sab gale mein atak jata hai.
keerti jee,
shubh sneh. aapkee kavtaa mein ek kashish hai ek andaaz hai jo muhabbat hone per hee aatee hai. aisaa mujhe lagtaa hai.
वाह...बहुत अच्छे....आपकी लेखनी का जवाब नही
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