4 January 2008

जिंदगी अपने घर

पडोस से उधार मांग आज सुबह लायी
सहली से मांग इक कटोरा सावन लायी
बच्चों से मांग भोली मासूमियत लायी
माली से मांग फूलों की क्यारिया लायी
आज अपने दिन को ऐसे ही सवांर
जिंदगी को अपने घर बुला लायी

कीर्ती वैद्य

3 comments:

Asha Joglekar said...

क्या बात है ! छोटी और अर्थ-पूर्ण कविता ।

राजीव तनेजा said...

कम शब्द...बडा अर्थ लिए आपकी कविताएँ ....

मन को भाती हैँ...
दिल को सुहाती हैँ...
ऊर्जा नई जगाती हैँ

डाॅ रामजी गिरि said...

आज अपने दिन को ऐसे ही सवांर
जिंदगी को अपने घर बुला लायी
BADAYEE HO ,KEERTI...BULANE PAR ZINDAGI AA TO GAYEE AAPKE GHAR...