अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
4 January 2008
जिंदगी अपने घर
पडोस से उधार मांग आज सुबह लायी सहली से मांग इक कटोरा सावन लायी बच्चों से मांग भोली मासूमियत लायी माली से मांग फूलों की क्यारिया लायी आज अपने दिन को ऐसे ही सवांर जिंदगी को अपने घर बुला लायी
3 comments:
क्या बात है ! छोटी और अर्थ-पूर्ण कविता ।
कम शब्द...बडा अर्थ लिए आपकी कविताएँ ....
मन को भाती हैँ...
दिल को सुहाती हैँ...
ऊर्जा नई जगाती हैँ
आज अपने दिन को ऐसे ही सवांर
जिंदगी को अपने घर बुला लायी
BADAYEE HO ,KEERTI...BULANE PAR ZINDAGI AA TO GAYEE AAPKE GHAR...
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