4 January 2008

तुझ संग जीने-मरने लगे ...........

कया है, कल्पना से परे
जाना जब तुम्हे सपनो से परे
विश्वास का हाथ थामे
भाग चला जब मन, तेरे पीछे
छोड़ सब रस्मे, बिन पूछे सबसे
तुम संग जब, खाने लगा कस्मे
प्रेम की अंधी सिडियो से आगे
जुनूनी बदलो को पार कर के
जब तुझ संग जीने-मरने लगे ...........

कीर्ती वैद्य........

1 comment:

Poonam Agrawal said...

Chod sab rasme , bin puche sabse,tum sang.....
very well said.