ख़तम न हो कभी सिलसिले
जो अब तुमसे बने है
मिटे न कभी अपने फासले
जो अब नज्दिकिया बनी है
टूटे न कभी मन के धागे
जो अब तुमसे जुडे है
बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है
महकता रहे अब प्यार
जो अब तुमसे मिला है
हर सांस में रहे इक नाम
जो अब बस तुम्हारा है
कीर्ती वैद्य
8 comments:
"बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है"
नए वर्ष पर नयी तरंगों से आवेशित एक सुन्दर कृति..
hi kirtiji,
bahut pyari poem hai,har ek saans mein rahe naam,jo ab tumhara hai.
mehek
अपनी संवेदनाओं को बखूबी व्यक्त किया है।सुन्दर रचना है।
महकता रहे अब प्यार
जो अब तुमसे मिला है
हर सांस में रहे इक नाम
जो अब बस तुम्हारा है
Ek naam jo juda hai tumhaare naam se
mahaktaa rahe saath tumhaare naam ke
Really your feelings in your own words . well done.
Poonamagrawal....
साथ जीने की कसमे, साथ रहने की रसमे,
उड़ने दो खावाहिशो को, ना रहेंगे पन्ने, ना रहेंगी कलमे.
after 9 presentation my project had been rejected from my US clients.reason: they don want to depend 93% on a software...
उनकी मूर्खता पर मुस्कुराएँ बीना,
झूठी मुस्कान होठो पर सजायें बीना,
सवछंद उड़ने दिया अपनी खावाहिशो को
कोई कागज , कलम उठाएं बीना
I would like to invite you in www.khawahish.com
"बहे न कभी अब आंसू
जो तुमने बांधे है"
संवेदनाओं को बखूबी दर्शाती आपकी कविता
खत्म ना हो कीर्ति का सिलसिला
जो आपकी रचनाओं ने बुना है
मिटे न कभी आपका ओज
पढें हम आपको हर रोज़
टूटे न कभी विचारों की लय
शब्दों को खुलकर करो तय
बहे जो कभी जज़बातों की धार
उठने दो तेज़ आवेगों की बौछार
महकता रहे नित नई रचनाओं
से ब्लॉग तुम्हारा
हर बन्दा कहे बस यही है
होम पेज हमारा
हर बात आपकी अहम खास हो
निराशा को दूर करती आस हो
very sweet ...very romantic....
very sweet ...very romantic....
Post a Comment