28 June 2007

" यह रात "

बड़ी गहरी है यह रात
दुरो तक कोई नही
बस में और काली यह रात
दूर कभी टीम्टीमाये दिखे लो
पल भर देय आस फीर खा जाये भूकी यह रात
बड़ा गहरा अँधेरा और खोमोश यह रात
डूब ना जाऊ कंही डराती यह रात
चीखू में जब कभी मुझपे हंसती यह रात

कीर्त्ही

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