अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
28 June 2007
"तुम अच्छे क्यूं"
तुम इतने अच्छे क्यूं हो, बिन बोले मेरा दर्द समझते हो, अच्छा क्या वो बतलाते हो, मेरे नहीं फिर भी मेरे क्यूं बन जाते हो... इस जलते दिल में क्यूं आते हो.. ईक प्यार भरी ठन्ढक क्यूं भर जाते हो...
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