अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
30 June 2007
"अदभुत रीश्ता"
"अदभुत रीशता"
देखा उससे मुस्कुराते मेजबान बन इंतज़ार करते दीयो में रोशनी भरे उसका हाथ थामने को बेकरार कितना अदभुत रीश्ता हाय रे एक रोगी और वो सीरफ़ एक मौत..........
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