22 May 2008

नितिन के लीए....

उस सोच से तुम परे हो
जिस सोच से तुम मेरे हो

तपी तपी गीली पीली धूप तले
मीठे मीठे तेरे कुछ एहसास खड़े

इस पल उस पल ज़िंदगी
बस सब तुम संग ज़िंदगी


होता है होता है....हाँ होता है
राहे जब जुदा ओर मंजिले एक हो

कीर्ती वैद्य

2 comments:

Krishan lal "krishan" said...

Good poem making candid expressions of heart with full application of mind.

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

उस सोच से तुम परे हो
जिस सोच से तुम मेरे हो

bahut khoob likhtii hein aap.