3 May 2008

अनकही कहानी .....

रात की बारिश से
भीगा ...व्यथित शहर
नम.. उमस.. उदास
बेमन बाहें फैला
फिर,
ज़िन्दगी के नए
पन्ने को
आगोश में ले
लिख रहा,
फिर, इक नई
अनकही कहानी .....

कीर्ती वैद्य ०२ मई २००८

5 comments:

Anonymous said...

har shahar ki dastan,bahut khub

Asha Joglekar said...

बेहद खूबसूरत कविता सुंदर भाव लिये हुए ।

Asha Joglekar said...

बेहद खूबसूरत कविता सुंदर भाव लिये हुए ।

Krishan lal "krishan" said...

ज़िन्दगी के नए
पन्ने को
आगोश में ले

ये हुई ना बात


Small and Compact
Leaves deep impact
Extremely beautiful
Well worded and meaningful
All said and done WONDERFUL

अंतस said...

isi disha mein kuch aur likhiye........

achchha hai, make it continued

:)