मूक सवालो के, क्या कुछ जवाब है?
जब भी ढ़ूंढ़ा , तुम्हारी गहरी आँखों में
उलझी रह गयी, तेरी खामोशी में......
ें
हो सकता है, तुम कहते तों हो
ओर मुझ तक पहुँचता भी हो...
पर शायद,
मैं सब समझना नही चाहती
ओर तुम कह, रूलाना भी नही चाहते...
कीर्ती वैदया...
जब भी ढ़ूंढ़ा , तुम्हारी गहरी आँखों में
उलझी रह गयी, तेरी खामोशी में......
ें
हो सकता है, तुम कहते तों हो
ओर मुझ तक पहुँचता भी हो...
पर शायद,
मैं सब समझना नही चाहती
ओर तुम कह, रूलाना भी नही चाहते...
कीर्ती वैदया...