27 November 2007

ऐसा कोई रंग है?

कैसा रंग चिहए ?
पुछा जब रंगरेज ने...

खो गयी खड़ी-खड़ी
बीसरी फीकी यादो में
काश, रंग पाती
अपनी बेरंगी यादो को
फीर एक बार खील
चहक नाच पाती
बाबुल के अंगना

सुनो रंगरेज..
ऐसा कोई रंग है ?

कीर्ती वैदया......

1 comment:

डाॅ रामजी गिरि said...

"काश, रंग पाती
अपनी बेरंगी यादो को""
आप की इन पंक्तियों पर कुछ याद आया..
रंग की तलाश में रंग्रेज़ के पास ना जाएं..
दिन और रात को मिलकर
एक नई सिन्दूरी सुबह बनाये.