23 July 2010

क्या बदला क्या नहीं

क्या बदला क्या नहीं

किसी शहर को.. सालो बाद देख

सब मै बतला नहीं सकती ...

पर...

घुटनों का दर्द ... बतला रहा है

जन्मदिन निकट आ रहा है

उम्र का एक पन्ना ... बिन पूछे

आगे पलटा जा रहा है...

अब आगे और क्या कंहूँ

कलमुहाँ आईना भी अब

मुँह चिडा रहा है .........

कीर्ति वैदया ...२३ जुलाई २०१०