12 November 2008

आंसू

एहसासों के ताने बाने लिपटे

चाँद तारो को एकटक तकते

बिन कदमो बिन आहाटो के

मीलो दूर बेवजह घुमे आये

सुबह, सब बिखरी औंस देखे

हम अपने खोये आंसू पर हँसे.....

कीर्ती वैद्य....11th nov'08