17 March 2008

जब हम मिल जाएँगे.....



हाँ, इक दिन वो आयेगा
जब हम मिलेंगे...

इक गर्म चाय के संग,
हम बातो मैं घुल जाएँगे.

कुर्मुरे चिप्स चटकाते,
करीब थोरा ओर जाएँगे.

कोसी-कोसी धुप तले,
प्रेम-प्रीत में भर जाएँगे

ठंडे पानी के गिलास संग,
मीठे सपने संजो लेंगे.

तंग भरी सड़क पे चलते-चलते,
हम भि ज़िन्दगी पकड़ लेंगे.

भुट्टे का नींबू-मसाला चख
अपना भि घर बसा लेंगे

हाँ, इक दिन वो आयेगा
जब हम मिल जाएँगे.....

कीर्ती वैद्य.....

7 comments:

Krishan lal "krishan" said...

हाँ, इक दिन वो आयेगा आयेगा
जब हम मिल जाएँगे.....
तंग भरी सड़क पे चलते-चलते,
हम भि ज़िन्दगी को पकड़ लेंगे.
भुट्टे पे नींबू-मसाला चख
अपना भि घर बसा लेंगे
बहुत सुन्दर बहुत अच्छा विचार है अगर कविता महज कल्पना नही है तो ईश्वर से प्रार्थना है कि वो दिन आपके जीवन में जल्द आये

Keerti Vaidya said...

shukriya Krishan lal ji.....aap yunhi mera honsla badatey rahey....

rahi baat kalpna ke ..ji sach koi mil gaya hai....shahyd tabhi meri kalam yeh sab likh gayi....ek baar fir apki shubkamano ka dhyanyabad..

HAREKRISHNAJI said...

nice blog

परमजीत सिहँ बाली said...

कविता में आपनें अपनें मनोभावों को बखूबी संजोया है।बहुत सुन्दर!

Anonymous said...

http://mujehbhikuchkehnahaen.blogspot.com/2008/03/blog-post_17.html

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बडे प्यारे भाव हैं, किसी के भी मन में ईर्ष्या के भाव भर देने में सक्षम। इस सफल अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
बहुत समय पहले आपकी कविताएं, आर्कुट पर पढने को मिली थीं, उसके बाद आज आपका ब्लॉग देखने को मिला, अच्छा लगा। आशा है आगे भी इसी तरह आपकी कविताएं पढने को मिलती रहेंगी।

Keerti Vaidya said...

thanxs again to all of you...ase he mere blog par aap sab atey rahey aur mera honsla badatey rahey....