22 August 2008

सुबह मुबारक

मीठी-मीठी,
प्यारी-प्यारी
बूंदों में भीगी
नीर बदरा भरी
सुबह मुबारक ....

कीर्ती वैद्य

12 comments:

bhawna....anu said...

वाह...सुबह का असली मज़ा आ गया...भावनाओं को शब्द मिल गए.

bhawna....anu said...

वाह...सुबह का असली मज़ा आ गया...भावनाओं को शब्द मिल गए.

सुशील छौक्कर said...

बहुत खूब बूंदो में भीगी सुबह । क्या बात जो कम लिखना शुरु कर दिया। या हमें पता नही चलता ।

Anwar Qureshi said...

आप की सोच और शब्द दोनों ही अच्छे लगे ..

राजीव तनेजा said...

शुभ प्रभात....

योगेन्द्र मौदगिल said...

मीठी-मीठी,
प्यारी-प्यारी
बूंदों में भीगी
नीर बदरा भरी
सुबह मुबारक ....

aapko bhi..............MUBARAK

Anonymous said...

"good morning" kahne ka khoobsoorat anddaj

Pawan Kumar said...

मीठी-मीठी,
प्यारी-प्यारी
बूंदों में भीगी
नीर बदरा भरी
सुबह मुबारक ....
महज़ पाँच लाइन की कविता में आनंद आ गया. मैंने जब ये कविता पढ़ी तो उस समय मसूरी में सुबह हो ही रही थी ऐसा लगा की सचमुच सुप्रभात हो रहा है. बेहतरीन रचना के लिए बधाई.

Anonymous said...

Wah. Ye to khud subaha dastak de rahi hai...

Amit K Sagar said...

बस लिखते रहिये.
---
मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
शुक्रिया.

Dr. Nazar Mahmood said...

good enough
nice way to start a day
congrats

Bandmru said...

kya likhti hai ati sundar.....