5 September 2007

वीदायी

हाँ, भीग गया आंगन
तेरे जाने की वीदायी में

टूट गीरे मोगरे के फूल
मेरे बीखरे केशों से

चटक गए रंगीन कांच
गोरी बाहों से

फैला रंग सींदुरी अस्मा पे
माथे की बींदीया से..................

कीरती वैधया

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