अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है.... शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
कुछ ढका कुछ छुपा सा
गुमसुम बूंदों से तरा सा
झुरमुट मेघो से घिरा सा
शायद ............कोई
दिल में छुपा दर्द रहा
जो, कभी बह ना सका
बस, चहरे पे उमड़ गया....
कीर्ती वैद्या ....११/१२/2008
dear Keertii read the posts , this one is very impressive . and I enjoyed the poemPls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/Vijay
कुछ ढका कुछ छुपा सा गुमसुम बूंदों से तरा सा झुरमुट मेघो से घिरा सा आपने दर्द को एक नया आयाम दे दिया !!!
***FANTASTIC PLEASE VISIT MY BLOG........... "HEY PRABHU YEH TERAPANTH "
हाँ दर्द तो हर इक बार ऐसा सा ही तो होता है.........है ना....??
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4 comments:
dear Keerti
i read the posts , this one is very impressive . and I enjoyed the poem
Pls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/
Vijay
कुछ ढका कुछ छुपा सा
गुमसुम बूंदों से तरा सा
झुरमुट मेघो से घिरा सा
आपने दर्द को एक नया आयाम दे दिया !!!
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हाँ दर्द तो हर इक बार ऐसा सा ही तो होता है.........है ना....??
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