अपने आस-पास जो महसूस करती हूँ.....शब्दो में उन्हे बाँध देती हूँ....मुझे लिखने की सारी प्रेणना, मेरे मित्र नितिन से मिलती है....
शुक्रिया नितिन, तुम मेरे साथ हो....
Jab kareeb laye unhey, Mehkey Jab Duriya na mittey, Cheekhey
its me keerti
1 comment:
Anonymous
said...
कीर्तिजी
आपकी कविताएं बड़ी ख़ूबसूरत हैं. सीधे-सीधे अपनी बातें मुझ जैसे कविता की समझ न रखने वालों को भी अपना अर्थ बतला देती हैं. गुजारिश यही है अगर यूनिकोड हिन्दी में हो तो पढ़ने में और मज़ा आएगा.
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कीर्तिजी
आपकी कविताएं बड़ी ख़ूबसूरत हैं. सीधे-सीधे अपनी बातें मुझ जैसे कविता की समझ न रखने वालों को भी अपना अर्थ बतला देती हैं. गुजारिश यही है अगर यूनिकोड हिन्दी में हो तो पढ़ने में और मज़ा आएगा.
शुभकामनाओं समेत
राकेश
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