12 December 2008

दर्द

कुछ ढका कुछ छुपा सा

गुमसुम बूंदों से तरा सा

झुरमुट मेघो से घिरा सा

शायद ............कोई

दिल में छुपा दर्द रहा

जो, कभी बह ना सका

बस, चहरे पे उमड़ गया....

कीर्ती वैद्या ....११/१२/2008